जयेश भाई एक सफल व्यवसायी हैं. गुजरात के एक छोटे से गांव से मुंबई आये और अपनी मेहनत के बूते पर खुद
की कंपनी खड़ी कर ली. व्यवसाय बहुत बड़ा नहीं है लेकिन खिलौना उद्योग में सब उनको जानते हैं. खुद कभी
कॉलेज नहीं गए पर अपने बेटे तनुज को उन्होंने अच्छी शिक्षा दिलवाई. कुछ ही महीनों पहले उसने एमबीए की
डिग्री हासिल की और अब पिता के ऑफिस से ही खुद का स्टार्टअप चला रहा है.
जयेश भाई बरसों के अनुभव से जानते हैं कि व्यवसाय खड़ा करना हंसी-खेल नहीं, इसलिए वो तनुज पर कड़ी
नज़र रखते हैं. रोज़मर्रा के कामकाज में दखल नहीं देते लेकिन बीचबीच में अपनी राय और अनुभव उसे बताते
रहते हैं. एक दिन उन्होंने तनुज को बुलाया और कहा, ‘बेटा, एक बात याद रखना. जब कोई उत्पाद अच्छा चल रहा
हो तो उसमें बदलाव करना ठीक नहीं. जो चल रहा है उसे चलने दो. फिर उसमें अपनी अक़ल नहीं लगाना चाहिए!’
तनुज ने उनकी बात शांति से सुनी. वो जानता था उनकी बात अभी ख़त्म नहीं हुई. उसकी उम्मीद के अनुरूप
जयेश भाई ने उसके स्टार्टअप की वेबसाइट खोली और कहा, ‘आये दिन वेबसाइट में बदलाव क्यों करते हो? तुम
लोगों को अपेक्षा के अनुसार आर्डर मिल रहे हैं और क्या चाहिए? अब कल तक ये आर्डर का बटन लाल था, आज
नीला कर दिया. हेडलाइन में शब्द बदल दिए, ये सब क्यों?’
तनुज ने कहा, ‘पापा, ये बदलाव हमने सोच समझ कर किये हैं. हम लोग हर छोटी से छोटी बात का असर नापते
रहते हैं. जैसे कि ये हेडलाइन पहले थी– एक एप जो दिमाग को विकसित करता है. इसे पढ़कर 16% लोग क्लिक
करते थे और हमारी वेबसाइट पर आते थे. हमने इसको बदल कर किया– एप जो आपके बच्चे के दिमाग को
विकसित करता है. अब 24% लोग इसे क्लिक करते हैं.’
फिर उसने बताया, ‘और ये आर्डर का बटन लाल था तो इस पेज पर आनेवाला हर चौथा व्यक्ति हमारा उत्पाद
खरीदता था. अब नीला करने के बाद हर तीसरा व्यक्ति आर्डर देता है.’
तनुज ने कहा, ‘हम स्टार्टअप वाले छोटी सफलता से संतोष नहीं करते. छोटी सफलता को बड़ी सफलता में बदलने
की कोशिश हमेशा ज़ारी रहती है. इसे हम ‘ग्रोथ हैकिंग’ कहते हैं. जैसे ये लाल वाला आर्डर बटन अच्छा काम कर
रहा है. पर साथ ही हम हरे बटन पर भी प्रयोग कर रहे हैं. 100 में से 25 लोगों को हरा बटन दिखाया जाएगा. हो
सकता है हरा बटन और भी ज़्यादा लोग क्लिक करें. इस तरह हम लगातार प्रयोग करते रहते हैं. हज़ारों लोग
हमारी वेबसाइट पर रोज़ आते हैं. दो-तीन प्रतिशत लोग भी अगर आर्डर ज़्यादा देते हैं तो मुनाफे में बड़ा फ़र्क़
पड़ता है.’
जयेश भाई के दिमाग का केलकुलेटर चल रहा था. दो छोटे से दिखनेवाले बदलावों के कारण तनुज को दुगुने आर्डर
मिल रहे थे. अगर व्यवसाय के हर क्षेत्र में इसे अपनाया जाए तो असर और भी बड़ा होगा. उनको समझ में आया
क्यों स्टार्टअप इतनी तेज़ी से तरक्की कर रहे हैं.
एक्शन पॉइंट: छोटी सफलताओं से संतुष्ट न हो जाइए, उनको बड़ी सफलताओं में बदलने की कोशिश करते
रहिए!