जवाहर लाल नेहरू मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट का कैंपस आया तो अखिलेश जी के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आयी. बरसों पहले वो यहाँ विद्यार्थी थे. आज एक कंपनी के सी.ई.ओ. की तरह लौटना सुखद लग रहा था.
संस्थान के विद्यार्थी उनको देखकर गदगद थे. जिस चेहरे को वो बिज़नेस मैगज़ीन्स के मुखपृष्ठ पर देखते हैं, वो आज उनके सामने था. संस्थान के निदेशक मेहता जी ने सबको कांफ्रेंस हाल में बुलाया.
एक युवा प्रोफेसर ने अखिलेश जी से कहा, ‘कोई ऐसी बात बताइये जो हमको किताबों में या गूगल कर के नहीं
मिल सकती.’ एक छात्र ने पूछा, ‘वो कौन सी खूबी है जिसके कारण आप इतनी बड़ी सफलताएं प्राप्त कर सके?’
अखिलेश जी मुस्कुरा दिए, बोले, ‘इन दोनों सवालों का जवाब है, हीरा लाल!’ सभागृह में चुप्पी छा गयी. एक सवाल
सबके चेहरे पर था–कौन हैं ये हीरा लाल?
अखिलेश जी ने बताया, ‘हीरा लाल मेरे मार्गदर्शक या गुरु नहीं हैं. इन्होंने मार्केटिंग या फाइनेंस की कोई डिग्री हासिल नहीं की है. वो मेरे ड्राइवर हैं.’ सवाल और भी गहरा गया था. हीरालाल ऐसी कौन सी सीख दे सकते थे जो बड़ी-बड़ी किताबों या गूगल पर नहीं मिल सकती?
अखिलेश जी ने कहा, ‘हीरा लाल की तनख्वाह मेरी कंपनी में काम करनेवाले युवा मैनेजरों से दुगुनी है!’
ये सुनकर युवा विद्यार्थी अचंभित रह गए. अखिलेश जी बोले, ‘इसका कारण आपको बताता हूँ. मैं कई महत्वपूर्ण फोन कॉल अपनी गाडी में करता हूँ. कंपनी के शेयरों के उतार-चढाव, प्राइसिंग पॉलिसी और दूसरे अन्य मुद्दे. सफर के वक़्त कई वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ मीटिंग भी कार में करता हूँ. हीरा लाल सब कुछ सुनते हैं. लेकिन नहीं सुनते हैं.’
विद्यार्थी बात के मर्म को समझने की कोशिश कर रहे थे. अखिलेश जी ने कहा, ‘किसको प्रोमोशन मिलनेवाला है, किसको नौकरी से निकाला जाएगा, हीरालाल सब जानते हैं. और उनके सामने बात करने में मुझे ज़रा भी झिझक नहीं होती. मुझे पता है वो मेरा भरोसा कभी तोड़ेंगे नहीं. मेरा रुपयों से भरा ब्रीफ़केस उनकी निगरानी में रहता है. कई बार नोटों की गड्डियां सीट पर छूट गयी हैं. वो संभाल कर रखते हैं. कभी एक पैसे का भी फ़र्क़ नहीं आया. कई बार उनको मैंने बैंक भेजा है रुपयों के साथ.’
विद्यार्थी अब हीरा लाल के महत्त्व को समझ रहे थे. अखिलेश जी बोले, ‘उनको ये डर नहीं है कि मैं उनको नौकरी से निकाल दूंगा. मुझे ये डर रहता है कि कहीं वो नौकरी न छोड़ दें. क्योंकि ड्राइवर तो कई मिलेंगे लेकिन जिस पर इस तरह भरोसा किया जा सके वो दूसरा हीरा लाल मिलना मुश्किल है. मैं आप लोगों से कहना चाहता हूँ कि डिग्री और ज्ञान आपको एक ऊंचाई तक ले कर जा सकता है. लेकिन अगर आपको अपने काम में चमकना है तो लोगों का भरोसा जीतना होगा. नौकरी हो या व्यवसाय, पहले भरोसा कमाइए. फिर पैसा भी आप खूब कमाएंगे.’
विद्यार्थियों के लिए ये एक बहुत बड़ा पाठ था. जो गूगल पर उनको नहीं मिलता!
एक्शन पॉइंट: अपने आसपास के लोगों का भरोसा जीतिए. भरोसा सबसे बड़ी पूँजी है.